सविता आंबेडकर का जीवन परिचय | Savita Ambedkar Biography in hindi
शादी के पहले सविता आंबेडकर (Savita Ambedkar) का नाम शारदा कबीर (Sharda Kabir) था। इनका जन्म २७ जनवरी १९०९ को मुंबई में हुआ था तथा इनकी मृत्यु २९ मई २००३ को ९४ वर्ष की आयु में जे जे हॉस्पिटल , मुंबई में हुई थी। वह एक समाजसेविका थी।
प्रारम्भिक जीवन परिचय
1 | नाम | सविता आम्बेडकर |
2 | जन्म स्थान | मुंबई |
3 | जन्म तिथि | २७ जनवरी १९०९ |
4 | पिता का नाम | कृष्ण राव कबीर |
5 | माता का नाम | जानकीबाई |
6 | योग्यता | MBBS |
7 | पति का नाम | B. R. Ambedkar |
8 | जाति(caste) | सारस्वत ब्रहामण |
शारदा (Sharda Kabir) का जन्म २७ जनवरी १९०९ को मुंबई में हुआ था। इनके पिता का नाम कृष्ण राव कबीर था जो एक सारस्वत ब्राहमण थे । इनकी माता का नाम जानकीबाई था । वह एक मेधावी छात्रा थी । इन्होने मुंबई के ग्रेंट मेडिकल कॉलेज से MBBS की डिग्री हासिल की। यह वह समय था जब लोग लडकियों को पढाना पसंद नहीं करते थे। कुछ ही लडकिया पढ़ती थी और मेडिकल जैसी पढाई तो न के बराबर ही पढ़ती थी। गुजरात के एक बड़े अस्पताल में चीफ मेडिकल ऑफिसर की पोस्ट पर उनकी नियुक्ति हुई। नियुक्ति के कुछ ही दिनों के बाद स्वास्थ्य ठीक न रहने की वजह से उन्होंने चीफ मेडिकल ऑफिसर की नौकरे छोड़ दी और मुंबई आ गयी। शारदा जी (Sharda Kabir) मुंबई में ही एक जाने माने डॉक्टर मालवंकर के पास एक असिस्टेंस के रूप में काम करने लगी।
सविता आंबेडकर की डॉ. बी.आर.आम्बेडकर से मुलाकात
मुबई के विर्लेपाले में डॉ. एम .अस .राव रहते थे । उन्होंने लन्दन से उच्च शिक्षा हासिल की थी। शारदा कबीर डा. ऍम .अस .राव की लड़कियों की सहेली थी। इसलिए शारदा कबीर (Sharda Kabir) का डॉ. एम .अस .राव के घर आना जाना रहता था । डॉ. एम .अस .राव डॉ बी.आर.आम्बेडकर के घनिष्ट मित्र थे। जब भी बाबा साहेब दिल्ली से मुंबई आते थे तो पहले डॉ. एम .अस .राव के घर जरूर आते थे।
डॉ. एम. अस. राव के घर पर ही बाबा साहेब की शारदा कबीर (Sharda Kabir) से पहली मुलाकात हुई। इस मुलाकात से शारदा कबीर बाबा साहेब से बहुत प्रभावित हुई। इनकी बी.आर.आम्बेडकर से दूसरी मुलाकात डॉ. मालवंकर के सलाहकार कक्ष में हुई। बाबा साहेब ब्लड प्रेशर, ब्लड सुगर तथा जोड़ो में दर्द से परशान थे। बाबा साहेब डॉ. मालवंकर के यहाँ इलाज करने आते थे। इसके बाद दोनों के बीच कई मुलाकाते हुई तथा पत्र वयवहार शुरू हो गया।
विवाह ( Wedding of Savita Ambedkar)
१५ अप्रैल १९४८ के दिन शारदा कबीर (Sharda Kabir) का बाबा साहेब से विवाह हो गया। विवाह के बाद शारदा कबीर का नाम सविता अम्बेकर(Savita Ambedkar) हो गया। शादी के बाद दोनों को तत्कालीन वायसराय सी. राज गोपालाचारी द्वारा आमंत्रित किया गया।
वैवाहिक जीवन ( Marriage Life of Savita Ambedkar)
शादी के बाद दोनों ख़ुशी से रहने लगे। सविता आम्बेडकर(Savita Ambedkar) तन मन से अम्बेडकरमय हो गयी। बाबा साहेब का स्वास्थ्य दिन-प्रतिदिन ख़राब होता जा रहा था। सविता आम्बेडकर ने तन मन से बाबा साहेब की सेवा की। बाबा साहेब ने अपनी पुस्तक “द बुद्धा एंड हिज धम्मा” की प्रस्तावना में १५ मार्च १९५६ में लिखा है कि सविता आंबेडकर की वजह से मेरे आयु ८-१० वर्ष बढ़ गयी है।
धर्म परिवर्तन
१४ अक्टूबर १९५६ के दिन सविता आम्बेडकर(Savita Ambedkar) ने बाबा साहेब के साथ बौद्ध धर्म को स्वीकार किया। इसी दिन सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया था। म्यांमार के बौद्ध भिक्षु महास्थावीर चंद्रमणि से बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। बाद में बाबा साहेब ने ५००००० लोगों को २२ प्रतिज्ञाएं देकर बौद्ध धर्म की दीक्षा दी । सविता आम्बेडकर भारत में बौद्ध धर्म स्वीकार करने वाली प्रथम महिला बनी .
सविता आंबेडकर का बाबा साहेब के परिनिर्वाण के बाद का जीवन
बाबा साहेब के परिनिर्वाण के बाद उन पर दोनों पक्षों की और से अनेक आरोप लगे। अम्बेडकरवादियों ने उन पर बाबा साहेब की हत्या करने का आरोप लगाया। बाबा साहेब के बीमार रहने के समय में उनसे मिलने के लिए बहुत लोग आते थें। लेकिन उन सबका बाबा साहेब के खराब स्वास्थय के चलते उनसे मिलना संभव नहीं था। वे सब सविता आंबेडकर पर आरोप लगाने लगे कि वह हमको बाबा साहेब से मिलने नहीं देती। वे एक पत्नी व एक डॉक्टर की जिम्मेदारी निभा रही थी। उनके मायके तथा ससुराल के दोनों ही परिवारों ने उनसे किनारा कर लिया था। इन आरोपों से परेशान होकर वे महरौली स्थित अपने फॉर्म हाउस में रहने लगी।
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु तथा बाद में इंदरा गाँधी ने उन्हें राज्य सभा में आने के लिए आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने उन्हें गवर्मेंट हॉस्पिटल में चीफ मेडिकल ऑफीसर की नौकरी देने को कहा। सविता आंबेडकर ने इन सबको बड़ी विनम्रता से मना कर दिया क्योंकि बाबा साहेब ने उन्हें उनकी मृत्योपरान्त किसी भी तरह की नौकरी तथा पदों को न स्वीकार करने के लिए कहा था। उन्होंने अपनी आत्मकथा “डा. अम्बेद्कराच्या सहवासत“में लिखा है कि राज्य सभा की सदस्यता को ग्रहण करना अपने आप को कांग्रेस के अनुसार चलने के लिए राजी करना था , जो में नहीं चाहती थी। ये सब सवीकार करना बाबा साहेब के विचारो के विरूध्द जाना था।
भारतीय रिपब्लिक पार्टी की कोशिश के बाद उन्होंने अपने आप को दलित आन्दोलन से जोड़ लिया था। १४ अप्रैल १९९० को बाबा साहेब को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार तत्कालीन राष्टपति रामास्वामी वेंकटरमण द्वारा सविता आम्बेडक को दिया गया।
सविता आंबेडकर की मृत्यु (Death of Savita Ambedkar)
१९ अप्रैल २००३ में साँस लेने में दिक्कत होने पर इलाज के लिए मुंबई के जे.जे. हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। २९ मई २००३ को ९४ वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया .
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