द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय | Draupti Murmu ki Jivni

द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय | Draupti Murmu Biography in hindi |Draupti Murmu Jivani |Draupti Murmu in hindi

द्रोपदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति है। भारतीय जनता पार्टी ने द्रोपदी मुर्मू को एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था। विपक्ष की तरफ से यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया गया था । 18 जुलाई 2022 को राष्ट्रपति के लिए चुनाव संपन्न हुआ है। 21 जुलाई 2022 को चुनाव का रिजल्ट आया।  द्रौपदी मुर्मू ने अपने प्रतिद्वंद्वी यशवंत सिन्हा को हरा दिया और राष्ट्रपति पद के लिए सिलेक्ट हो गई।  पहली आदिवासी महिला है जो राष्ट्रपतियह बनी है। इस आर्टिकल में हम द्रौपदी मुर्मू की जीवनी के ऊपर में प्रकाश डाल रहे हैं। आशा करते हैं कि यह आर्टिकल आपको अच्छा लगेगा।

संक्षिप्त जीवन परिचय 

नाम द्रौपदी मुर्मू
पिता का नाम बीरांंची नारायण टुडू
पति का नाम श्याम शरण टुडू
लड़की का नाम इतिश्री मुर्मू
जन्म तिथि 20 जून 1958
जन्म स्थान बैदापोसी गाँव, ब्लाॅक – राय रंगपुर, जिला – म्यूरभंज, उड़ीसा
पिता का व्यावसाय गाँव का प्रधान
पति का व्यावसाय बैंकिग सर्विस
शैक्षिक यौग्यता ग्रेजुएट
अपना व्यावसाय राजनीति, अध्यापन, सामाजिक सेवा
जाति अनुसूचित जनजाति (संथाल)
ऊँचाई 5 फुट 4 इंच
रंग काला
पार्टी भारतीय जनता पार्टी
धर्म हिन्दू
सम्पत्ति 10 लाख

पारिवारिक जीवन परिचय

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को एक संथाल परिवार में हुआ था। उनका जन्म उड़ीसा के म्यूरभंज जिले के बैदापोसी नामक गांव में हुआ था। इनके पिता और दादा गांव के प्रधान रहे हैं, जिसके कारण इनके परिवार का गांव में अच्छा सम्मान हैं। इनके परिवार के सभी सदस्य शिक्षित है। इनके पिता का नाम बीरांंची नारायण टुडू है। इनके पति का नाम श्याम शरण मुर्मू हैं जो एक बैंक कर्मचारी है। इनके दो पुत्र व एक लड़की थी। लेकिन दुर्भाग्य से इनके दो पुत्र व पति इनका साथ छोड़कर इस दुनिया से चले गए। इनकी अभी एक लड़की है जिसका नाम इतिश्री मुर्मू है। अपनी इसी लड़की के सहारे वह अपना जीवन व्यतीत करती है। (द्रौपदी मुर्मू की जीवनी)

शैक्षिक जीवन परिचय

द्रौपदी मुर्मू की प्रारंभिक शिक्षा इन्हीं के क्षेत्र में एक निजी स्कूल में हुई। यह बचपन से ही एक होनहार छात्रा थी। उच्च शिक्षा के लिए वह भुवनेश्वर आ गई और यहीं से रामा देवी महिला कॉलेज से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पुर्ण की।

व्यवसाय (द्रौपदी मुर्मू की जीवनी)

द्रौपदी मुर्मू ने 1979 में अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पुर्ण की। 1983 में इन्होंने उड़ीसा राज्य के बिजली विभाग विभाग में सहायक (कनिष्ठ लिपिक) के काम करना शुरू किया। इन्होंने 1994 तक काम किया। उसके बाद इस नौकरी को छोड़ दिया। 1994 में इन्होंने अपने ही क्षेत्र के अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में अध्यापन का काम शुरू किया। 1957 में टीचिंग का काम भी छोड़ दिया

राजनीतिक जीवन परिचय (द्रौपदी मुर्मू की जीवनी)

1997 में द्रौपदी मुर्मू ने अध्यापन के कार्य को छोड़ दिया और बीजेपी पार्टी को ज्वाइन कर लिया। 1997 में ही द्रौपदी मुर्मू ने रायरंगपुर से नगर पंचायत का चुनाव जीता और पार्षद बनी। 2000 ईस्वी में रायरंगपुर से ही विधायक का चुनाव लड़ा और जीत गई और 2000 में बीजेपी- बीजेडी गठबंधन की सरकार बनी और नवीन पटनायक सीएम बने। इस सरकार में द्रौपदी मुर्मू वाणिज्य एवं परिवहन मंत्री बनी।

2002 में मुर्मू को उड़ीसा सरकार में मत्स्य व पशुपालन विभाग में मंत्री बनाया गया। 2009 में वह फिर से विधायक बनी। 2013 में वह बीजेपी पार्टी की जिला अध्यक्ष बनी।

2015 में वह झारखंड राज्य की प्रथम आदिवासी महिला गवर्नर बनी और 5 वर्ष का अपना पूर्ण कार्यकाल पूर्ण किया। 2022 में इन्हें एनडीए की तरफ से बीजेपी ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया। इन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी यशवंत सिन्हा को हराकर चुनाव जीता और राष्ट्रपति बन गई

राष्ट्रपति पद के लिए योग्यता

इस पद के लिए निम्न योग्यता होना अनिवार्य है-

  1. उसकी आयु 35 वर्ष से अधिक हो।
  2. उसमें लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यता हो।
  3. वह किसी लाभ के पद पर न हो। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति व मंत्री परिषद के सदस्य को लाभ के पद पर नहीं माना जाता।

राष्ट्रपति चुनाव की प्रकिया

जनता द्वारा राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से होता है। अर्थात जनता प्रत्यक्ष रूप से चुनाव में भाग नहीं लेती बल्कि जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधित्व ही चुनाव में भाग लेते हैं। सभी विधानसभाओं के सदस्य व लोकसभा के सभी निर्वाचित सदस्य इलेक्ट्रोल कॉलेज का निर्माण करते हैं। इलेक्ट्रोल कॉलेज के सदस्य को ही राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने का अधिकार है। चुनाव समानुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर होता है इसमें एकल संक्रमण पध्दति ( सिंगल ट्रांसफरेबल सिस्टम) का यूज़ होता है। इस प्रणाली के तहत सदस्य वोट देते समय बैलट पेपर पर वरीयता क्रम में अपनी पसंद को दर्शाते हैं।

पहले चरण की काउंटिंग में प्रथम पसंद पर विचार किया जाता है। यदि पहले राउंड की काउंटिंग में उम्मीदवार जीतने के लिए आवश्यक वोट प्राप्त नहीं करता तो सेकंड राउंड की काउंटिंग होती है। इलेक्ट्रोरल कोलेज के प्रत्येक सदस्य का वेटेज अलग अलग होता है।

विधायक के वोट का वेटेज निकालने के लिए उस विधायक के राज्य की जनसंख्या को उस राज्य के कुल विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है। भाग देने के बाद जो भागफल आता है उसे फिर 1000 से भाग दिया जाता है। इस प्रकार जो भागफल आता है वही एक विधायक के वोट का वेटेज होता है। यदि यह संख्या 500 से ज्यादा होती है तो उसमें एक जोड़ लिया जाता है और विधायक की 1 वोट का वेटेज निकाला जाता है।

सांसद के वोट का वेटेज निकालने के लिए विधानसभा के सभी विधायकों के वेटेज का योग निकाला जाता है। इस योग को कुल चयनित सांसदों की संख्या से भाग दिया जाता है। इस तरह जो भाग फल आता है वही एक वही एक सांसद के वेटेज की वैल्यू होती है। यदि यह वैल्यू 0.5 से ज्यादा आती है तो उसमें एक जोड़ दिया जाता है।

द्रोपदी मुर्मू के जीवन की प्रमुख घटनाएं

1979 – उड़ीसा के भुवनेश्वर के रमा देवी महिला कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

1983 –  ओडिशा सरकार के बिजली विभाग में कनिष्ठ लिपिक के पद पर काम करना शुरू किया।

1994 – मयूरभंज जिले के रायरंगपुर के अरबिंदो इंटीग्रल सेंटर में अध्यापन का कार्य शुरू किया।

1997 –  बीजेपी को ज्वाइन किया तथा रायरंगपुर से पार्षद का चुनाव जीती।

2000 –  बीजेपी के टिकट पर रायरंगपुर से विधायक बनी तथा बीजेपी बीजेडी की गठबंधन की सरकार में वाणिज्य एवं परिवहन मंत्री बनी।

2002 – में मत्स्य व पशुपालन विभाग में मंत्री बनी।

2002 से 2009 तक –  भारतीय जनता पार्टी की अनुसूचित जनजाति की कार्यकारिणी की सदस्य रही।

2006 –  अनुसूचित जनजाति मोर्चा की उड़ीसा प्रदेश अध्यक्ष बनी।

2009 – रायरंगपुर से पुन: विधायक बनी।

2013 से 2015 तक –  बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रही।

2015 से  2021 तक –  झारखंड राज्य की राज्यपाल रही।

द्रौपदी मुर्मू को प्राप्त पुरस्कार

द्रौपदी मुर्मू को 2007 में सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए उड़ीसा विधानसभा के द्वारा नीलकंठ पुरस्कार दिया गया।

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