पत् धातु के रूप | Pat Dhatu Roop in Sanskrit | Pat Dhatu Panch Lakar

Dheeraj Pandit

पत् धातु के रूप | Pat Dhatu Roop in Sanskrit | Pat Dhatu Pancho Lakar

पत् धातु भ्वादीगणीय धातु है। पत् धातु का हिन्दी में अर्थ गिरना  (To fall) होता है। इस गण की सभी धातुओं के रूप इसी धातु की तरह चलते है। संस्कृत मे सभी धातुओं को दस गणों मे बाँटा गया है। यह प्रथम गण की धातु है। सभी गण की धातुओं के रूप प्राय: एक प्रकार से चलते है। इस आर्टिकल मे हम पाँच लकारों मे Pat Dhatu Roop का अध्ययन करेंगे।

लट् लकार मे पत् धातु के रूप ( Lat Lakar me Pat Dhatu roop)

लट लकार को हिन्दी मे वर्तमान काल के रूप मे जाना जाता है। इसमे पत् धातु के रूप निम्न है-

 एकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथम पुरूषपततिपततःपतन्ति
मध्यम पुरूषपतसिपतथःपतथ
उत्तम पुरूषपतामिपतावःपतामः

पत धातु के लट् लकार में वाक्य और उदाहरण

संस्कृत में वाक्यहिन्दी मेंं अर्थ
सः पतति।
तौ पततः।
ते पतन्ति।
त्वम् पतसि।
युवां पतथः।
युयं   पतथ।
अहं पतामि।
आवां  पतावः।
वयं  पताम।
सीता पतति।
ते पततः।
ता पतन्ति।
वह गिर रहा है।
वे दोनों गिर रहे है।
वे सब गिर रहे है।
तुम गिर रहे है।
तुम दोनों गिर रहे है।
तुम गिर रहे है।
मै गिर रहा हूँ।
हम दोनों गिर रहे हैं।
हम सब गिर रहे हैं।
सीता गिर रही है।
वे दोनों गिर रही है।
वे सब गिर रही  है।

लृट लकार मे पत धातु के रूप

लृट लकार को हिन्दी मे भविष्यत् काल के रूप मे जाना जाता है। इसमे पत् धातु के रूप निम्न है-

 एकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथम पुरूषपतिष्यतिपतिष्यत:पतिष्यन्ति
मध्यम पूरूषपतिष्यसिपतिष्यथ:पतिष्यथ
उत्तम पुरूषपतिष्यामिपतिष्याव:पतिष्याम:

पत् धातु के लृट लकार में वाक्य और उदाहरण

संस्कृत में वाक्यहिन्दी मेंं अर्थ
सः  पतिष्यति।
तौ पतिष्यत:।
ते पतिष्यन्ति।
त्वं पतिष्यसि।
युवां पतिष्यथ:।
युयं पतिष्यथ।
अहं पतिष्यामि।
आवां पतिष्याव:।
वयं पतिष्याम:।
सीता पतिष्यति।
ते पतिष्यत:।
ता पतिष्यन्ति।
वह गिरेगा।
वें दोनों गिरेंगे।
वे सब गिरेंगे।
तुम गिरोगे।
तुम दोनों गिरोंगे।
तुम सब गिरोंगे।
मै गिरूंगा।
हम दोनों गिरेंगे।
हम सब गिरेंगे।
सीता गिरेगी।
वे दोनों गिरेगी।
वे सब गिरेगी।

लड़ लकार मे पत् धातुके रूप ( Lang Lakar me Pat Dhatu Roop)

लड़ लकार को हिन्दी मे भूत काल के रूप मे जाना जाता है। इसमे पत् धातु के रूप निम्न है-

 एकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथम पुरूषअपततअपतताम्अपतन्
मध्यम पुरूषअपत:अपततम्अपतत्
उत्तम पुरूषअपताम्अपतावअपताम

पत् धातु के लड़ लकार मे वाक्य और उदाहरण

संस्कृत में वाक्यहिन्दी मेंं अर्थ
सः अपतत्।
तौ अपतताम्।
ते अपतन्।
त्वं  अपत:।
युवां अपततम्।
युयं अपतत्।
अहं  अपताम्।
आवां अपताव।
वयं अपताम।
सीता अपतत्।
ते अपतताम्।
ता अपतन्।
वह गिरा।
वे दोनों गिरे।
वे सब गिरे।
तुम गिरे।
तुम दोनों गिरे।
तुम सब गिरे।
मै गिरा।
हम दोनों गिरे।
हम सब गिरे।
सीता गिरी।
वें दोनों गिरी।
वें सब गिरी।

लोट लकार में पत् धातुके रूप ( Lot Lakar me Pat Dhatu Roop)

लोट लकार को हिन्दी मे आज्ञावाचक के रूप मे जाना जाता है। यह आज्ञा लेने और देने, प्रार्थना, अनुमति, आशिर्वाद आदि से सम्बन्धित है। इसमे पत् धातु के रूप निम्न है-

 एकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथम पुरूषपततुपतताम्पतन्तु
मध्यम पुरूषपतपततम्पतत
उत्तम पुरूषपतानिपतावपताम

पत् धातु के लोट लकार मे वाक्य और उदाहरण

संस्कृत में वाक्यहिन्दी मेंं अर्थ
सः पतति
तौ पतताम्।
ते पतन्तु।
त्वं पत।
युवां पततम्।
युयं पतत।
अहं पतानि।
आवां पताव।
वयं पताम।
सीता पतातु।
ते पतताम्।
ता पतन्तु।
वह गिर जाए।
वें दोनों गिर जाए।
वे सब गिर जाए।
तुम गिर जाओ।
तुम गिर जाओं।
तुम गिर जाओं।
मै गिर जाउ।
हम गिर जाए।
हम गिर जाए।
सीता गिर जाए।
वे दोनों गिर जाए।
वे सब गिर जाए।

विधिलिंङ लकार में पत् धातुके रूप (Vidhiling Lakar me Pat Dhatu Roop)

विधिलिंङ लकार चाहिए के अर्थ मे प्रयोग होता है। इसमे पत् धातु के रूप निम्न है-

 एकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथम पुरूषपतेतपतेताम्पतेयु:
मध्यम पुरूषपते:पतेतम्पतेत
उत्तम पुरूषपतेयम्पतेवपतेम

पत् धातु के विधिलिङ लकार मे वाक्य और उदाहरण-

संस्कृत में वाक्यहिन्दी मेंं अर्थ

सः पतेत।
तौ पतेताम्।
ते पतेयु:।
त्वं पते:।
युवां पतेतम्।
युयं पतेत।
अहं पतेयम्।
आवां पतेव।
वयं पतेम।
सीता पतेत।
ते पतेताम्।
ता पतेयु:।
उसे गिरना चाहिए।
उन दोनों को गिरना चाहिए।
उन सब को गिरना चाहिए।
तुम्हे गिरना चाहिए।
तुम दोनों को गिरना चाहिए।
तुम सब को गिरना चाहिए।
मुझे सावधान गिरना चाहिए।
हम दोनों को गिरना चाहिए।
हम सब को गिरना चाहिए।
सीता को गिरना चाहिए।
उन दोनों को गिरना चाहिए।
उन सब को गिरना चाहिए।

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